वीआईपी क्षेत्र में पानी के अभाव से पार्क में लगे पेड़ पौधे सूखे,रखवाला हुआ बेरोजगार,जिम्मेदार बेखबर

Dec 21 2022

वीआईपी क्षेत्र में पानी के अभाव से पार्क में लगे पेड़ पौधे सूखे,रखवाला हुआ बेरोजगार,जिम्मेदार बेखबर

लखनऊ। महानगर क्षेत्र में एक पार्क बदहाली की मार झेल रही है। जो कभी हरी-भरी पार्क रहती थी। इसमें बुजुर्ग व नव जवान घूमने के लिए आते थे। आज वही लोग जब पार्क में घूमने के लिए आते हैं,तो सूख रहे पेड़ों को देखकर माथा पकड़ कर रोने पर मजबूर हो रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी और क्षेत्र का पार्षद इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। गंदगी का आलम यह है कि पार्क में भले इंसान जाने से कतरातें। नगर निगम का कोई सफाई कर्मी सफाई करने नहीं आते रहें हैं। पानी के अभाव से पेड़ सूख रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है,कि शिकायतों का असर जिम्मेदारों पर नहीं पड़ रहा है।
विवेकानन्द पुरी वार्ड के गोल मार्केट चौराहे स्थित भूमिगत स्टैंड है। उसके ऊपर चंद्र शेखर आजाद नाम से पार्क है। स्थानीय लोगों के मुताबिक लाखों रुपए खर्च कर मायावती शासन काल में इस भूमिगत स्टैंड और पार्क निर्माण कराया गया था। स्थानीय लोगों कहना है कि इस पार्क में क्षेत्र के समाजसेवी ओमप्रकाश शर्मा (पूर्व एक्सीएयन जल निगम) ने लाखों रुपए खर्च कर पेड़-पौधे अपने पैसों से लगवाएं थे। लेकिन रखरखाव और पानी के अभाव से पेड़ सूख रहे हैं।
स्थानीय निवासी एडवोकेट संजय दुबे ने बताया कि इस पार्क में अमरुद के जो पेड़ सूख रहे हैं, उनमें बहुत मीठे फल आते थे। जो लोग पार्क में घूमने के लिए आते थे वो अमरुदों स्वाद जरूर लेते थे। आज अमरूद के पेड़ पानी के अभाव से सूख रहे हैं। शाम होते ही यहां शराबियों का जमघट लग जाता है। मोहल्ले के लोग शराबियों के हुड़दंग से घरों में कैद हो जाते हैं। पहले लॉकडाउन में लोग घरों से निकल कर कुछ क्षण डर कर बिताते और अमरुद भी खाते थे। लॉकडाउन के बाद पार्क की बदहाली का दौर जारी हो गया और आज अमरूद के लगभग पेड़ सूख चुके हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने क्षेत्र पार्षद से कई बार शिकायतें की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
पार्क की देखरेख करने वाले कालीचरण ने बताया कि वह बिना सरकारी वेतन से सालों रखरखाव करता रहा है। पेड़ों को अपने बच्चों की तरह पाला पोसा था। लेकिन पानी की लाइन काट जाने से पेड़ सूख रहे हैं। स्थानीय लोग जो पैसे मुझे दे देते थे उससे जीविका चलती थी। अब वह मजदूरी करने जाता है जिससे जीविका चलती है। पार्क में गंदगी का अंबार है। पहले लोग घूमने के लिए यहां आते थे, उनमें से कुछ लोग आर्थिक मदद कर देते थे। पार्क में लगे पेड़ पौधे पानी के अभाव से सूख जाने से लोगों का आना बंद हो गया और वह बेरोजगार हो गया।